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प्रादेशिक सेना

प्रसंग : रक्षा मंत्री ने नियंत्रण रेखा पर प्रादेशिक सेना की महिला अधिकारियों की तैनाती को मंजूरी दी है।

गठन

  • प्रादेशिक सेना 18 अगस्त 1948 को प्रादेशिक सेना अधिनियम लागू होने के साथ वर्तमान स्वरुप में अस्तित्व में आई।
  • 09 अक्टूबर 1949 को प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी द्वारा प्रादेशिक सेना का औपचारिक उद्घाटन किया गया था।
  • इस दिन को प्रादेशिक सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • देशवासियों को ‘नागरिक सेना’ के अस्तित्व के प्रति जागरूक करने के लिए पहला प्रादेशिक सेना सप्ताह 08–15 नवम्बर 1952 को मनाया गया था।

संगठन

  • प्रादेशिक सेना नियमित सेना का एक भाग है।
  • शुरुआत में प्रादेशिक सेना में पैदल सेना, बख़्तरबंद कोर, वायु रक्षा तोपखाने, सिग्नल, आपूर्ति और अन्य विभागीय इकाइयाँ शामिल थीं।
  • अब प्रादेशिक सेना में ‘सन्स ऑफ सॉयल’ की अवधारणा पर आधारित ‘होम एंड हर्थ’ बटालियनों के अलावा भारतीय सेना की विभिन्न रेजिमेंटों से सम्बद्ध अनेक इन्फैंट्री और इंजीनियर इकाइयाँ हैं।
  • प्रादेशिक सेना की 10 पारिस्थितिक बटालियनें भी हैं, जो ऊबड़–खाबड़ और दुर्गम इलाकों में वनीकरण करके, आर्द्रभूमि को पुनर्जीवित करने, जल–निकायों को बहाल करने और स्वच्छ गंगा परियोजना में योगदान देकर देश में पर्यावरण की बहाली के लिए काम कर रही हैं।
  • प्रादेशिक सेना बटालियन भारतीय रेलवे और तेल क्षेत्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) के अन्तर्गत विशेष कार्य भी करती हैं।

भूमिका

  • नियमित सेना को स्थिर कर्तव्यों से मुक्त करना तथा प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में नागरिक प्रशासन की सहायता करना
  • उन स्थितियों में आवश्यक सेवाओं का रखरखाव करना है, जब जन–जीवन प्रभावित हो या देश की सुरक्षा को खतरा हो
  • आवश्यक होने पर नियमित सेना के लिए इकाइयाँ प्रदान करना

ऑपरेशन

  • 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के दौरान प्रादेशिक सेना ने भी इनमें सक्रिय रूप से भाग लिया था।
  • 2020 के बाद से, भारतीय सेना बेहतर परिचालन और खुफिया भूमिकाओं के लिए प्रादेशिक सेना को पुनर्गठित कर रही है।
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