प्रसंग : भारतीय नौसेना की कलावरी क्लास प्रोजेक्ट75 की छठी पनडुब्बी ‘आईएनएस वाघशीर’ ने अपना समुद्री परीक्षण शुरू किया। परीक्षणों के पूरा होने के बाद वर्ष 2024 की शुरुआत में वाघशीर पनडुब्बी को भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा।
घटनाक्रम
- पनडुब्बी को 20 अप्रैल 2022 को मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के कान्होजी आंग्रे वेट बेसिन से समुद्र में उतारा गया था।
- MDL ने 24 महीनों में प्रोजेक्ट 75 (P75) की 3 पनडुब्बियों को नौसेना को सौंपा है और छठी पनडुब्बी का समुद्री परीक्षण शुरू होना एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यह आत्मनिर्भर भारत को प्रोत्साहन मिलने का संकेत भी दर्शाता है।
- यह पनडुब्बी अब समुद्र में अपनी सभी प्रणालियों के गहन परीक्षणों से गुजरेगी, इनमें प्रणोदन प्रणाली, हथियार और सेंसर सम्मिलित हैं।
- यह P75 योजना की पनडुब्बियों में से एक है, जो विदेशी फर्मों से ली गई तकनीक के साथ स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण के लिए 1999 में स्वीकृत योजना का हिस्सा है।
- P75 के तहत अक्टूबर 2005 में 6 पनडुब्बियों का ठेका मझगाँव डॉक को दिया गया था, जिनकी डिलीवरी 2012 से शुरू होनी थी, लेकिन परियोजना में देरी हुई।
INS वाघशीर के बारे में
- INS वाघशीर भारतीय नौसेना की कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों के पहले बैच की छठी पनडुब्बी है।
- इस पनडुब्बी का नाम सैंड फिश की एक प्रजाति के नाम पर रखा गया है, जो हिन्द महासागर की गहरी समुद्री शिकारी है।
- रूस से आयातित इस नाम की पहली पनडुब्बी 26 दिसम्बर 1974 को भारतीय नौसेना में कमीशन की गई थी, जो 30 अप्रैल 1997 को सेवामुक्त हो गई थी।
- नई वाघशीर पनडुब्बी को इसके कमीशन किए जाने के समय आधिकारिक तौर पर नामित किया जाएगा।
- इसका निर्माण फ्रांसीसी रक्षा उत्पादक कम्पनी मैसर्स नेवल ग्रुप के तकनीकी सहयोग से मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा मुम्बई में किया जा रहा है।
- इसे नौसेना टास्क फोर्स के अन्य घटकों के साथ इंटरऑपरेबिलिटी प्रदर्शित करते हुए ऑपरेशन के सभी थिएटरों में संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
विशेषताएँ
- वाघशीर एक डीजल–अटैक पनडुब्बी है, जिसे ‘सी डिनायल’ के साथ–साथ ‘एक्सेस डिनायल’ युद्ध के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह सतहरोधी युद्ध, पनडुब्बीरोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करना, माइन बिछाने और क्षेत्र की निगरानी सहित नौसैनिक युद्ध के स्पेक्ट्रम में आक्रामक संचालन कर सकता है।
- यह 18 टॉरपीडो या एक्सोसेट एंटी–शिप मिसाइल या टॉरपीडो के स्थान पर 30 माइन ले जा सकता है।
- इसकी विशेषताओं में उन्नत ध्वनिक अवशोषण तकनीक, कम विकिरणित शोर स्तर, हाइड्रो–डायनामिक रूप से अनुकूलित आकार भी शामिल हैं। इसमें पानी के नीचे या सतह पर सटीक निर्देशित हथियारों का उपयोग करके एक गम्भीर हमला करने की क्षमता है।