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पश्मीना प्रमाणन केन्द्र की शुरुआत

प्रसंग : उत्तराखंड के देहरादून में भारतीय वन्यजीव संस्थान परिसर में पश्मीना प्रमाणन केन्द्र (PCC) की शुरुआत की गई।

पश्मीना प्रमाणन केन्द्र के बारे में

  • यह आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए पीसीसी पश्मीना उत्पादों की शुद्धता एवं देश के उत्पादों का आवागमन परेशानी मुक्त करने के लिए प्रतिबंधित फाइबर की अनुपस्थिति के लिए प्रमाणन जारी करेगा।
  • केन्द्र सरकार की नीति के अनुरूप, यह प्रमाणित और वास्तविक पश्मीना उत्पादों की बिक्री करने के लिए प्रामाणिकता प्रमाण–पत्र प्राप्त करने में पश्मीना व्यापारियों को सहायता प्रदान करने के लिए सार्वजनिक–निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर आधारित एक प्रकार की सुविधा है।
  • भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून ने ‘पश्मीना परीक्षण सुविधा’ स्थापित करने के लिए हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद् (EPCH), नई दिल्ली के साथ एक समझौता किया था।

केन्द्र की स्थापना का उद्देश्य

  • इस केन्द्र की स्थापना का उद्देश्य पश्मीना व्यापार को सुव्यवस्थित करना और इससे जुड़े हुए निर्माताओं, निर्यातकों और व्यापारियों को किसी भी प्रतिबंधित फाइबर मुक्त वास्तविक पश्मीना उत्पाद को प्रमाणित करने के लिए वन–स्टॉप परीक्षण सुविधा प्रदान करना है।
  • परीक्षण किए गए उत्पादों को व्यक्तिगत ई–सर्टिफिकेट के साथ एक ट्रेस करने योग्य विशिष्ट आईडी टैग के साथ लेबल किया जाएगा, जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऐसे उत्पादों का निर्बाध व्यापार हो सकेगा।

पश्मीना क्या है

  • पश्मीना हिमालयी बकरियों से प्राप्त किया जाने वाला उत्कृष्ट प्रकार का ऊन है।
  • यह एक इंडो–आर्यन शब्द ‘पश्म’ से आया है, जिसका अर्थ है ‘जानवर’।
  • इन बकरियों की नस्लों में लद्दाख की चांग्रा, मालरा और चेगू शामिल हैं।
  • लद्दाख के चांगथंग क्षेत्र में रहने वाली चांगपा जनजाति पश्मीना बकरियों को पालती है।
  • पश्मीना उत्पादित करने वाली ये बकरियाँ लेह, जंस्कार और लाहौल–स्पीती में भी पाली जाती हैं।
  • कश्मीर पश्मीना और लद्दाख पश्मीना को GI टैग प्रदान किया गया है।

भारतीय वन्यजीव संस्थान

  • 1982 में देहरादून में स्थापित भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) एक अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति–प्राप्त संस्था है।
  • यह संस्थान प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, अकादमिक कार्यक्रम के अलावा वन्यजीव अनुसंधान तथा प्रबंधन में सलाहकारिता प्रदान करता है।
  • यह पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रबंधित एक स्वायत्त संस्थान है।
  • इसके निम्नलिखित कार्य हैं :
    • वन्यजीव संसाधनों पर वैज्ञानिक ज्ञान को समृद्ध करना
    • वन्यजीव संरक्षण एवं प्रबंधन के लिये कार्मिकों को विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षित करना
    • विकास की तकनीकों सहित तथा भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप प्रबंधन से सम्बन्ध अनुसंधान करना
    • वन्यजीव अनुसंधान प्रबंधन तथा प्रशिक्षण पर अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों से साझेदारी करना
    • वन्यजीव तथा प्राकृतिक संसाधन संरक्षण पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के क्षेत्रीय केन्द्र के रूप में विकास करना
    • वन्यजीव प्रबंधन सम्बन्धी विशेष समस्याओं पर सूचना एवं सलाह देना
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