प्रसंग: कर्नाटक कैडर के IPS अधिकारी को केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) का निदेशक की नियुक्त किया गया है।
CBI निदेशक की नियुक्ति
- CBI निदेशक की नियुक्ति दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन अधिनियम, 1946 के तहत प्रावधानों और उसमें लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 द्वारा लाए गए संशोधनों के अनुसार की जाती है।
- नियुक्ति केन्द्र द्वारा तीन सदस्यीय नियुक्ति समिति की सिफारिश पर की जाती है।
- लोकसभा में विपक्ष के नेता (LOP) और भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश शामिल हैं।
- यदि कोई मान्यता प्राप्त विपक्ष का नेता नहीं है, तो सबसे बड़ी पार्टी के नेता को समिति में शामिल किया जाता है।
- केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 ने CBI निदेशक का कार्यकाल 2 वर्ष निर्धारित किया।
उच्चतम न्यायालय का निर्देश
- उच्चतम न्यायालय ने 2019 के एक आदेश में कहा था कि CBI निदेशक के पद के लिए छह महीने से कम के कार्यकाल वाले किसी भी अधिकारी पर विचार नहीं किया जा सकता है।
- न्यायालय ने यह भी फैसला सुनाया है कि निदेशक को ‘2 साल से कम नहीं’ के लिए कार्यालय में रहना है और नियुक्ति समिति की सहमति से ही स्थानांतरित किया जा सकता है।
केन्द्रीय जाँच ब्यूरो (CBI)
- यह भारत की प्रमुख जाँच एजेंसी है।
- एजेंसी की स्थापना 1963 में संथानम समिति की सिफारिश के बाद की गई थी।
- CBI कोई संवैधानिक संस्था नहीं है।
- यह दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम 1946 से जाँच करने की शक्ति प्राप्त करता है।
नियंत्रण
- यह कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में काम करता है।
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराधों की जाँच के के मामलों में CBI केन्द्रीय सतर्कता आयोग को रिपोर्ट सौंपती है।
कार्य
- प्रारम्भ में, इसे सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में भ्रष्टाचार की जाँच के लिए स्थापित किया गया था।
- साइबर अपराधों, संगठित अपराधों और विशेष अपराधों सहित कई प्रकार मामलों की जाँच के लिए इसके अधिकार क्षेत्र का विस्तार हुआ है।