प्रसंग : आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कृष्णा जिले के मंगिनापुडी में मछलीपट्टनम बन्दरगाह निर्माण–कार्य का उद्घाटन किया।
अवस्थिति
- यह बंगाल की खाड़ी के तट पर एक प्रस्तावित गहरा समुद्री बन्दरगाह है।
- यह आंध्र प्रदेश में कृष्णा जिले के जिला मुख्यालय मछलीपट्टनम में स्थित है।
- इस बन्दरगाह को राज्य सरकार ने लैंडलॉर्ड मॉडल के तहत 5,156 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया है।
- यह तीन गैर–प्रमुख बंदरगाहों में से एक है (नेल्लोर में रामायपट्टनम और श्रीकाकुलम जिले में मूलापेटा अन्य दो हैं), जिसे आंध्र प्रदेश मैरीटाइम बोर्ड (APMB) द्वारा विकसित किया जा रहा है।
- यह परियोजना मछलीपट्टनम बन्दरगाह विकास निगम लिमिटेड (MPDCL) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है, जो राज्य सरकार द्वारा बनाई गई एक विशेष प्रयोजन संस्था है।
- बन्दरगाह के पहले चरण में 35 मिलियन टन की क्षमता होने की उम्मीद है, इसके 4 बर्थ में से 3 सामान्य बर्थ और 1 कोयले के लिए है।
- यह आंध्र प्रदेश और पड़ोसी राज्य तेलंगाना से उर्वरक, कोयला, खाद्य तेल, कंटेनर, कृषि उत्पाद, सीमेंट, ग्रेनाइट, सीमेंट क्लिंकर, लौह अयस्क आदि के निर्यात को चालित करेगा।
सम्पर्क
- यह बन्दरगाह राष्ट्रीय राजमार्ग 65, 216 और 216–A से जुड़ा हुआ है।
- इसे राष्ट्रीय राजमार्ग–216 से जोड़ने के लिए बन्दरगाह क्षेत्र से 6.5 किलोमीटर लम्बी फोरलेन सड़क–निर्माण का प्रस्ताव है।
- रेलवे सम्पर्क के लिए मछलीपट्टनम और पेडाना स्टेशन बन्दरगाह के निकट स्थित हैं।
- मौजूदा गुडिवाडा–मछलीपट्टनम लाइन पर पेडाना स्टेशन से 3 किलोमीटर दूर एक जगह से 5.5 किलोमीटर की समर्पित रेलवे लाइन बिछाने का भी प्रस्ताव है।
लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल
- इस मॉडल में, सरकार द्वारा शासित बन्दरगाह प्राधिकरण एक नियामक निकाय और जमीन्दार के रूप में कार्य करता है, जबकि निजी कम्पनियाँ बन्दरगाह की कार्गो हैंडलिंग सहित अन्य गतिविधियों का संचालन करती हैं।
- इसमें बन्दरगाह प्राधिकरण बन्दरगाह के अपने स्वामित्व को बनाए रखता है, जबकि बुनियादी ढाँचा निजी फर्मों को पट्टे पर दिया जाता है, जो कार्गो को सम्भालने के लिए अपनी स्वयं की अधिरचना प्रदान करते हैं और उनका प्रबंध करते हैं और अपने स्वयं के उपकरण स्थापित करते हैं।
- इसके बदले में जमीन्दार बन्दरगाह को निजी फर्म से राजस्व का एक हिस्सा मिलता है।