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प्रोजेक्ट चीता

प्रसंग : राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के निर्देश पर, विशेषज्ञों की एक टीम ने कूनो राष्ट्रीय उद्यान का दौरा किया तथा प्रोजेक्ट चीता की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की।

प्रोजेक्ट चीता की शुरुआत

  • चीता को भारत वापस लाने की चर्चा 2009 में भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट द्वारा शुरू की गई थी।
  • ‘भारत में चीता पुनर्वापसी की कार्ययोजना’ के तहत, 5 वर्षों में 50 चीतों को अफ्रीकी देशों से विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों में लाया जाएगा।
  • भारत का ‘प्रोजेक्ट चीता’ मांसाहारी बड़े जंगली जानवरों के अंतर–महाद्वीपीय स्थानांतरण की दुनिया की पहली परियोजना है।
  • चीता को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

सबसे उपयुक्त स्थल

  • भारत के मध्य भूभाग के सर्वेक्षित स्थलों में मध्य प्रदेश में कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान को उपयुक्त पर्यावास तथा पर्याप्त शिकार उपलब्धता के आधार के आधार पर उच्च प्राथमिकता दी गई है।
  • इस उद्यान के 21 चीतों की पुनर्वापसी में सक्षम होने का आकलन किया गया है।
  • संभवतः देश में एकमात्र वन्यजीव स्थल है जहां पार्क के भीतर गांवों को पूरी तरह से स्थानांतरित कर दिया गया है।
  • यह भारत की चार बड़ी बिल्लियों–बाघ, शेर, तेन्दुआ और चीता को शरण देने की सम्भावना भी रखता है, जहाँ वे अतीत की तरह सह–अस्तित्व में रह सकें।

अन्य अनुशंसित स्थल

  • नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य, मध्य प्रदेश
  • गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य, मध्य प्रदेश
  • भैंसरोडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य परिसर, राजस्थान
  • शाहगढ़ उभार, राजस्थान
  • मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व, राजस्थान

लाभ

  • ये चीता भारत में खुले जंगल और चरागाहों के इकोसिस्टम को बहाल करने में मदद करेंगे।
  • इससे जैव विविधता के संरक्षण में मदद मिलेगी और यह जल सुरक्षा, कार्बन पृथक्करण और मृदा की नमी के संरक्षण जैसी इकोसिस्टम से जुड़ी सेवाओं को बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे बड़े पैमाने पर समाज को लाभ होगा।
  • यह प्रयास पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता के अनुरूप है और यह पर्यावरण के अनुकूल विकास एवं इकोटूरिज्म की गतिविधियों के जरिए स्थानीय समुदाय की आजीविका के अवसरों में वृद्धि करेगा।
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